प्राइवेट लैब में गरीबों का कोरोना टेस्ट मुफ्त,सक्षम लोगों को करना होगा भुगतान -सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने निजी लैब में मुफ्त कोरोना जांच के अपने पुराने आदेश में बदलाव करते हुए आदेश दिया कि जो लोग प्राइवेट लैब में कोरोना की जांच के लिये 4500 रूपये देने में सक्षम हैं  उनसे प्राइवेट लैब पैसे ले सकते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को एक बार फिर से साफ कर दिया कि EWS कोटे के तहत आने वाले गरीब तबके के लोगों और जो लोग आयुष्मान भारत योजना के दायरे में आते हैं उनका कोविड टेस्ट के लिये कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।


साथ ही कोर्ट ने केन्द्र सरकार से कहा है कि अगर वो चाहे तो एक हफ्ते में EWS कोटे का दायरा बढ़ा सकती है, अगर असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों को जो इन दोनो कैटेगरी में नहीं आते उनको शामिल करने पर सरकार को फैसला लेने की छूट दे दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक प्राइवेट लैब जो गरीबों के टेस्ट मुफ्त में करेगा उसका खर्च सरकार को उठाना होगा। कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया है कि प्राइवेट लैब का मतलब उन लैब से है जो आईसीएमआर द्वारा मान्यता प्राप्त हैं।

अपने संशोधन के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से कहा है कि प्राइवेट लैब में मुफ्त में होने वाले गरीबों के टेस्ट को लेकर आदेश जारी करे। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से इस सुविधा के बारे में प्रचार करने को भी कहा है।

जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. रविन्द्र भट्ट की बेंच ने वीडियोकॉन्फ्रेसिंग के जरिये सुनवाई करते हुए ये आदेश जारी किया।

प्राइवेट लैब में कोरोना की जांच को मुफ्त किये जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील शशांक देव सुधी ने याचिका दाखिल की थी। जिसपर आठ मार्च को केन्द्र सरकार को आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी प्राईलेट लैब में जांच मुफ्त करने का आदेश दिया था। इस आदेश में सुधार करने की मांग करते हुए एक डॉक्टर कौशल कांत मिश्रा ने याचिका दाखिल की थी।

सुनवाई से पहले ICMR ने भी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर प्राइवेट लैब में फ्री कोविड टेस्ट के पुराने आदेश में संशोधन की मांग की। हलफनामें में ICMR ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अगर अपने पुराने आदेश में संशोधन नही किया तो कोरोना से लड़ाई का उद्देश्य मुश्किल हो सकता है।

ICMR ने मुफ्त जांच का फैसला सरकार के ऊपर छोड़ देने की भी अपील की। ICMR ने अपने  हलफनामे में कहा कि 87% से अधिक कोविड-19 टेस्ट सरकारी लैब ने किए हैं। साथ ही ICMR ने ये भी कहा कि प्राइवेट लैब द्वारा टेस्ट के लिए तय किए गए 4500 रु मनमाने नहीं हैं। दरअसल ICMR ने ही प्राइवेट लैब को ये निर्देश दिया था कि किसी भी हालत में कोविड-19  टेस्ट के लिये 4500 रूपये से अधिक चार्ज नही किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से भले ही सक्षम लोगों को जांच के एवज में प्राइवेट लैब को कीमत चुकानी होगी लेकिन गरीबों के लिये राहत बरकरार रहेगी।

Tags

Post a Comment

0 Comments

Top Post Ad

Below Post Ad